अध्याय 5. जब जनता बग़ावत करती है |
प्रश्न: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से ऐसी क्या माँग थी जिसे अंग्रेजों ने ठुकरा दिया ?
उत्तर: झाँसी की रानी के पति की मृत्यु के पश्चात् वे चाहती थी कि अंग्रेज उनके गोद लिए बेटे को राज्य का वैध उतराधिकारी मान ले | परन्तु अंग्रेजों ने इसे ठुकरा दिया | अंग्रेजों ने एक नियम बनाया था जिसे 'डैक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स' के नाम से जाना जाता है, इस नियम के अनुसार जिस भारतीय राजा की मृत्यु बिना किसी उतराधिकारी छोड़े हो जाती है अंग्रेज उस राज्य को अंग्रेजी हुकूमत में मिला लेते थे | ऐसा उन्होंने भारतीय राज्यों को हड़पने के लिए किया था |
प्रश्न: ईसाई धर्म अपनाने वालों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर: ऐसे भारतीय जिन्होंने इसाई धर्म अपना लिया हो उन्हें अपने पूर्वजों की संपति प्राप्त करने का अधिकार दे दिया जाता था | ऐसा उन्होंने भारत में ईसाईकरण को बढ़ावा देने के लिए किया था |
प्रश्न: सिपाहियों को नए कारतूसों पर क्यों ऐतराज था ?
उत्तर: अंग्रेजी हुकूमत के समय बन्दुक में कारतूस लगाने के लिए सिपाहियों को कारतूस के ऊपर लगी खोल को पहले हटाना पड़ता था | ऐसी खबर थी कि इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था | ऐसी चीजों से हिन्दू और मुस्लिम सिपाहियों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती थी | जिसे सुनकर सिपाही भड़क गए और उन्होंने इसके इस्तेमाल से इंकार कर दिया था |
प्रश्न: अंतिम मुग़ल बादशाह ने अपने आखिरी साल किस तरह बिताए ?
उत्तर: अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफ़र को सिपाही विद्रोह के समय बंदी बना कर वर्मा (अब का म्यांमार) की राजधानी रंगून की जेल में भेज दिया जहाँ उन्हें अपने जीवन के अंतिम दिन बितानेपड़े | ये दिन उनके जीवन के बहुत ही कष्टदायी रहे | इसी जेल में रहते 1862 में उनकी मृत्यु हो गई |
प्रश्न: मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थित को लेकर अंग्रेज शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे ?
उत्तर: मई 1857 से पहले अंग्रेजों को भारत में अपनी स्थिति को लेकर आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ था | जिसके निम्न कारण थे |
(i) अंग्रेजों की सोंच थी कि भारतीय सैनिक उनके विश्वसनीय है | उन्ही के बल पर उन्होंने भारत में इतनी बड़ी ब्रिटिश साम्राज्य खड़ा किया था |
(ii) भारतीय सिपाहियों ने बहुत सी लड़ाइयाँ जीतकर अंगेजों की झोली में दी थी | उन्हें भारतीय सिपाहियों पर पूरा यकीन था |
(iii) वे ये भी जानते थे कि कई स्थानीय जमींदार और राजा उनके शासन का समर्थन करते हैं |
प्रश्न: बहादुर शाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर: बहादुर शाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर निम्न असर पड़ा |
(i) बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोही सैनिकों के समर्थन देने से आम जनता उत्साहित हो गई | उन्हें अब लगने लगा कि अब अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेका जा सकेगा |
(ii) अंग्रेजों की नीतियों से राज-राजवाड़े भी परेशान थे, अंग्रेजों ने अपने नीतियों से कई भारतीय राजाओं के राज्यों को हड़प लिया था जिसमें अवध प्रमुख था, और झाँसी को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा |
(iii) बहादुरशाह जफ़र के समर्थन के खबर से राज-परिवारों के ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी | उन्हें लगने लगा कि अब ब्रिटिश शासन ख़त्म हो जाएगी और उनके राज वापस मिल जायेगा |
प्रश्न: अवध के बागी भू-स्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर: अवध के बागी भू-स्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने निम्न कार्य किया |
(i) अंग्रेजों ने घोषणा की कि जो भू-स्वामी ब्रिटिश राज के प्रति स्वामीभक्त बने रहेंगे, उन्हें अपने जमीन पर पारंपरिक अधिकार का उपयोग करने की स्वतंत्रता बनी रहेगी |
(ii) अंग्रेजों ने कई भू-स्वामियों, राजाओं और नबावों पर मुकदमे चलाये और अंत में फाँसी दे दी |
(iii) जिन भू-स्वामियों ने विद्रोह किया था, यदि उन्होंने किसी गोर लोगों की हत्या नहीं की थी और आत्मसमर्पण करना चाहते हो तो उनकी सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी और उनकी जमीन पर उनके दावे और अधिकार का विरोध नहीं किया जायेगा |
प्रश्न: 1857 की वागवत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियां किस तरह बदली ?
उत्तर:
(i) शासकों को उनके क्षेत्र पर शासन करने के अधिकार को सुनिश्चित किया गया |
(ii) उतराधिकारी के रूप में गोद लिए गए पुत्र को मान्यता दी गई |
(iii) ब्रिटिश सेना ने भारतीय सिपाहियों के अनुपात को कम कर दिया और ब्रिटिश सिपाहियों के अनुपात को बढ़ा दिया |
(iv) सेना में गोरखा, सिख एवं पठानों की संख्या को बढाया गया |
(v) मुसलमानों को संदेह और शत्रु की दृष्टि से देखा जाने लगा |
(vi) अंग्रेज अब भारतीय रिवाज, धर्म, परम्पराओं और सामाजिक प्रथाओं को सम्मान देने लगे |
(vii) जमींदार और भू-स्वामियों के उनके जमीनों पर अधिकार को और सुरक्षित बनाया गया |
प्रश्न: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में और पता लगाए | आप उन्हें अपने समय की विलक्षण महिला क्यों मानते है ?
उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 क आस-पास बनारस में हुआ | उनके पिता मोरपन्त ताम्बे एक मराठी ब्राम्हण थे | उनकी माँ भागीरथी बाई एक सुसंस्कृत धार्मिक महिला थी | 14 वर्ष की आयु में उनकी शादी झाँसी के महाराज गंगाधर राव के साथ हो गया | कुछ वर्षों के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने एक बेटे को जन्म दिया जो कुछ महीनों में चल बसा | 1853 में महाराज गंगाधर राव बीमार पड़े तो उन्होंने अपने दूर के रिश्तेदार के बेटे दामोदर राव को गोद ले लिया | उसके अलगे दिन ही महाराज की मृत्यु हो गई |
रानी लक्ष्मीबाई एक विलक्षण महिला थी जिसके निम्न प्रमाण है :
(i) रानी ने दावा किया कि दामोदर राव उनका वैध उतराधिकारी है | ब्रिटिश राज ने रानी के इस दावे को ठुकरा दिया और डाक्ट्रिन ऑफ लैप्स संधि के तहत उनके राज्य को अंग्रेजी हुकूमत में मिलाने का फैसला किया |
(ii) उन्हें झाँसी का किला छोड़ने को कहा गया | जबकि रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध थी | और अंग्रेजों के साथ युद्ध छेड़ दिया |
(iii) उन्होंने ने एक सेना का निर्माण किया जिसमें महिलाएं एवं पुरुष दोनों थे | दो सप्ताह तक अंग्रेजों के साथ युद्ध हुआ जिसमें रानी ने अंग्रेजी सेना का बहुत ही दिलेरी से मुकाबला किया |
(vi) जून 1858 में रानी लक्ष्मीबाई की शिकस्त हुई और उन्हें मार दिया गया।